Philosophy, Spiritualism, Women empowerment, Inner turmoil.
Friday, 6 September 2013
सुरमई वो धूप वाले दिन गए
, रंग भीगे बादलो के दिन गए
, घोसला चिरिया का खाली हो गया
, तोतली बातो भरे वे दिन गए
, कर्ज से भी सूद महंगा हो गया
, आदमी कितना कमीना हो गया
,, खेत फिर इस साल बोये बिन गए
, धान की फसलो के? छिन गए
. झुरमुटो में कैद चुटकी क़ चांदनी
, बांसुरी में घुट रही है रागिनी
, खोखले सन्दर्भ भाषा के हुए .
, छंद के गीतों भरे वे दिन गए
शहीदो की यादम॓ रोताहै कौन/ द॓श को नीलाम,कर सोता है कौन/ हद स॓ नीच॓ गिर चुका है आदमी/ दुरदशा क॓ बीजखुद बोता है कौन/ #Hindi
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